स्पेशल स्टोरी: अनसुलझे रहस्यों से घिरा शिव मंदिर..! जिसे भगवान लक्ष्मण ने बनाया था, शिवलिंग में सवा लाख छिद्र होने से पाताल में चले जाता है चढ़ाया गया जल..!

अनसुलझे रहस्यों से घिरा शिव मंदिर..! जिसे भगवान लक्ष्मण ने बनाया था, शिवलिंग में सवा लाख छिद्र होने से पाताल में चले जाता है चढ़ाया गया जल..! इसे कहते है छत्तीसगढ़ का काशी, बरसों से है लोगों की आस्था का केंद्र। फील्ड रिपोर्ट से उपेंद्र त्रिपाठी और सहयोगी के साथ खरोद (जांजगीर चांपा)
फील्ड रिपोर्ट टीम स्पेशल स्टोरी: छत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर चांपा जिले के खरौद शहर में स्थित लक्ष्मणेश्वर मंदिर के रहस्यमय शिवलिंग के बारे आपने शायद ही सुना होगा। आज हम इस मंदिर से रूबरू कराने जा रहे हैं। कहते हैं कि इस शिवलिंग मेंसवा लाख छिद्र है, इन छिद्रों से शिवलिंग में अभिषेक किया गया जल पाताल लोक में चले जाता है। आज भी रहस्य का विषय बना हुआ है।  छत्तीसगढ़ का काशी कहा जाने वाला लक्ष्मेश्वर मंदिर छठी शताब्दी बताया जाता है। मान्यता अनुसार श्रीराम ने खर और दूषण का यहीं पर वध किया था। इसीलिए इस जगह का नाम खरौद है। कहा जाता हैं कि यहां पूजा करने से ब्रह्महत्या के दोष का भी निवारण हो जाता है।  शिवलिंग से जुड़ी पौराणिक कथा : लोगों मान्यता अनुसार रावण का वध करने के बाद लक्ष्मणजी ने भगवान राम से ही इस मंदिर की स्थापना करवाई थी। यह भी कहते हैं कि लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह में मौजूद शिवलिंग की स्थापना स्वयं लक्ष्मण ने की थी। कथा के अनुसार शिवजी को जल अर्पित करने के लिए लक्ष्मण जी पवित्र स्थानों से जल लेने गए थे, एक बार जब वे आ रहे थे तब उनका स्वास्थ्य खराब हो गया। कहते हैं कि शिवजी ने बीमार होने पर लक्ष्मण जी को सपने में दर्शन दिए और इस शिवलिंग की पूजा करने को कहा। पूजा करने से लक्ष्मणजी स्वस्थ हो गए। तभी से इसका नाम लक्ष्मणेश्वर है। मंदिर के प्राचीन शिलालेख अनुसार आठवीं शताब्दी राजा खड्गदेव ने इस मंदिर के निर्माण में योगदान दिया था। यह भी उल्लेख है कि मंदिर का निर्माण पाण्डु वंश के संस्थापक इंद्रबल के पुत्र ईसानदेव ने करवाया था।   लक्षलिंग कहा जाता है : मंदिर अपने आप में बेहद अद्भुत और आश्चर्यों से भरा है। कहते हैं कि इस शिवलिंग में सवा लाख छिद्र है इसीलिए इसे लक्षलिंग या लखेश्वर कहा जाता है। इन सवा लाख छेदों में से एक छेद ऐसा है जो पाताल से जुड़ा है। इसमें जितना भी जल डाला जाता है वह सब पाताल में समा जाता है जबकि एक छेद ऐसा भी है जो हमेशा जल से भरा रहता है जिसे अक्षय कुण्ड कहा जाता है। लक्षलिंग जमीन से करीब 30 फीट ऊपर है और इसे स्वयंभू भी कहा जाता है। क्या कहते है हेमलाल यादव... ग्राम खरौद में रहने वाले 70 वर्षीय बुजुर्ग हेमलाल यादव का कहना है कि, इस मंदिर की खासियत यहां बने कुंड से भी है जिसको रामानुज लक्ष्मण ने स्थापित किया था और मान्यताओं के अनुसार इस का जल सीधे पताल लोक तक जाता है और इस अक्षय शिवलिंग पर महानदी से लाकर भगवान लक्ष्मण ने शिवलिंग का अभिषेक किया था।    राम गमन वनपथ के संघर्ष करता प्रमोद सोनी का कहना है,    दरअसल छत्तीसगढ़ में एकमात्र राज्य जहां भगवान राम के लिए राम वन गमन पथ का निर्माण किया जा रहा है और यही कारण है कि छत्तीसगढ़ के काशी कहे जाने वाले खरौद की उपयोगिता इस लिहाज से बढ़ जाती है यहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की गई है राम गमन वनपथ के संघर्ष समिति के वरिष्ठ सदस्य प्रमोद सोनी का कहना है कि, जिस तरह से रामेश्वर भगवान राम की वजह से स्थापित पूजा जाता है ठीक वैसे ही खरौद में लक्ष्मणस्वर महादेव मंदिर भगवान लक्ष्मण के द्वारा स्थापित किया गया है, और उनकी पूजा की जाती है। शिवरात्रि यादव ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर की उपयोगिता और इसका इतिहास बहुत पुराना है छठवीं शताब्दी में बने इस मंदिर में कई शिलालेख है जो बता देना यह किस कदर ऐतिहासिक और पौराणिक है दूसरी तरफ भगवान राम को लेकर बनाए गए राम गमन वन पथ जैसे महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट को लेकर भी गंभीरता से काम किया जा रहा है हालांकि अब भी इस प्रोजेक्ट में कई तरह की चूक और अनदेखी हो रही है।      जब भगवान लक्ष्मण को हो गया था क्षय रोग महादेव ने सुझाया था उपाय।   पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान लक्ष्मण को क्षय रोग हो गया था तो उन्होंने भगवान महादेव से अपनी इस बीमारी के लिए उपाय मांगा था इस पर महादेव भगवान ने उन्हें आशीर्वाद दिया और छत्तीसगढ़ के स्थान पर आकर उनकी शिवलिंग स्थापित करने के लिए कहा कथाओं के अनुसार भगवान महादेव के केश याने बालों को लेकर वहां पहुंचे थे और इसे स्थापित करने के बाद जैसे ही इस पर गंगाजल डाला यह छिद्रनुमा शिवलिंग के रूप में अद्वैत ढंग से स्थापित हो गए और यही वजह है कि आज तक दुनिया में स्थापित अन्य किसी भी शिवलिंग से ही अलग और अनोखी ईश्वरी ताकत लिए हुए हैं यहां रहते हुए भगवान लक्ष्मण ने महानदी से जल लाल आकर इस पर चढ़ाया और कथाओं के अनुसार इस पर चढ़ाया जगह जल सीधे पताल लोक तक पहुंचता है यह कुंड कभी सूखता नहीं और इसी के करीब बने एक तालाब में नहा लेने मात्र से आपकी कई गंभीर बीमारियां दूर हो जाती है मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर की और भी कई विशेषताएं हैं।      जब बच्चे नहीं होते तो यहां सवा लाख चावल के दाने चढ़ाने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।    मंदिर से जुड़ी कई पौराणिक कथाओं में से एक यह भी है कि जब किसी महिला को लंबे समय तक संतान प्राप्ति नहीं होती तो वह यहां पहुंचकर मंदिर की परंपरा और मान्यता को ध्यान में रखते हुए सवा लाख चावल के दाने अर्पित करें तो हो जल्द से जल्द मां बनने का सुख प्राप्त कर सकती है। और यही कारण है कि, देश और दुनिया के कोने कोने से बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालु भी यहां पहुंचते हैं लोगों के लिए सवा लाख दाने चुन-चुन कर इकट्ठा करना कठिन होता है लिहाजा मंदिर के बाहर ही छोटी-छोटी पोटलियों में सवा लाख चावल के दाने गिन कर रखे जाते हैं, थोड़े से पैसों में नारियल और पूजा के अन्य सामानों के साथ इसे भी खरीदा जा सकता है। और अनेक कहानियों की मानें तो क्षेत्र के सांसद की मम्मा ने भी इसी तरह पुत्र रत्न की प्राप्ति की थी और बाद में उसी सांसद में क्षेत्र के विकास के लिए काफी काम किया आज भी राम गमन वन पथ के लिए खरौद के रहने वाले इस योजना को पूरा करने में अपनी पूरी ताकत झोंक रही है।