बिलासपुर। विधानसभा में भारी-भरकम जीत के बाद कांग्रेस का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है। केंद्र में सरकार की जुगत में कांग्रेस ने अपनी नीतियों में परिवर्तन किया है। पार्टी संगठन एक ओर दूसरी पार्टियों से घर वापसी कर आये नेताओं पर भी भरोसा नहीं जता रही है।
भीतरघात की बात करें तो 15 साल से सत्ता से बाहर रही कांग्रेस के सिपेसलारों की निष्ठा का डगमगाना नए चेहरों पर भारी पड़ सकता है। वहीं भाजपा के अभेद गढ़ बने बिलासपुर लोकसभा में तथाकथित फूल छाप कांग्रेसियों के नेतृत्व और उनकी सेना के बल पर किसी जीत की कल्पना करना कांग्रेस के लिए भारी पड़ सकता है। विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने विधायकों और हारे हुए प्रत्याशियों की बैठक लेकर भितरघातियों की लंबी सूची तैयार की थी। लेकिन इस पर अमल नहीं हो पाया। जिसके कारण उनके हौसले बुलंद हुए हैं। बिलासपुर लोकसभा में भी कांग्रेस के लिए अपनी निष्ठा दिखाने और बीजेपी के लिए धड़कने वाले दिलों की कमी नहीं है। ऐसा ही एक उदाहरण नगर पंचायत सिरगिट्टी का है। इस क्षेत्र के पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष रहे, सतनाम सलूजा। कांग्रेसी नेताओं की माने तो सलूजा जी कट्टर कांग्रेसी हैं, लेकिन बीजेपी नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक से नजदीकी इस दावे को खोखला करती है।लेकिन पार्टी आत्मविश्वास के कारण भितरघातियों से सतर्क नज़र नहीं आ रही है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो कांग्रेस पार्टी के नए फार्मूले के तहत चुने नए चेहरे और भितरघात का भंवर उनकी नैया को डुबा सकता है।