आरक्षण मामले में हुई सुनवाई, फैसला सुरक्षित

फील्ड रिपोर्ट बिलासपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने आरक्षण के संबंध में लिए गए निर्णय को लेकर उच्च न्यायालय में दायर की गई याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश रामचंद्रन मेमन और न्यायाधीश पी. के. साहू की युगल पीठ पर सुनवाई हुई । याचिकाकर्ता पुनेश्वर नाथ मिश्रा, पुष्पा पांडेय, स्नेहिल दुबे, सौरभ बनाफर,शुभम तिवारी, संजय तिवारी ने याचिका लगाई।

अधिवक्ता रोहित शर्मा बताया कि पैरवी में कहा कि वर्ष 2012 से लेकर 2018 तक के राज्य सेवा परीक्षा में ओबीसी वर्ग का अनारक्षित वर्ग के सीट से चयन हमेशा से अधिक है। इस दृष्टि से यह नही कहा जा सकता कि उनका प्रतिनिधित्व कम है। इसके साथ ही 2012 से 2018 तक के राज्य सेवा परीक्षा में चयन सूचियों को जिसमें बताया गया है कि कितने प्रतिशत ओबीसी वर्ग सामान्य वर्ग के लोगो का सीट ले जाते है पेश किया।

अधिवक्ता शर्मा ने कहा कि यह राज्य के संदर्भ के डाटा नही है यह केंद्र स्तर का डाटा है जबकि यहां बात स्टेट के मेटर पर हो रही है। साथ ही सरकार के अधिकवक्ताओ ने महाजन कमेटी RBI की रिपार्ट आदि के माध्यम से 82% आरक्षण को सही बताने का तर्क प्रस्तुत किया। उंसके जवाब में अधिवक्ता ने कहा कि जिस महाजन कमिटी की बात सरकार कर रही है उस रिपोर्ट में महाजन कमेटी की अनुशंषा है कि 20 वर्ष बाद उसके दिए रिपोर्ट की वैधता समाप्त हो जाएगी और इस आधार पर 2010 में इसकी वैधता समाप्त हो चुकी है।

आरक्षण की सीमा किसी भी स्तर से यदि 50% से अधिक होती है तो यह संविधान के उन मूल भावनाओ के खिलाफ है। उच्च न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनते हुए,अंतरिम राहत पर फैसला सुरक्षित रखा है। इस मामले में अगली सुनवाई पर उच्च न्यायालय में फैसला होगा।